भारी मात्रा में सोना निकलने के चलते अंग्रेजों को केजीएफ इतना पसंद आ गया था कि उन्होंने वहीं घर बनाने शुरू कर दिए थे। एक तरह से केजीएफ अंग्रेजों का छोटा इंग्लैंड बन गया था। अंग्रेज केजीएफ को छोटा इंग्लैंड कहते थे। साल 1930 तक केजीएफ में करीब 30 हजार मजदूर काम करने लग गए थे।
लेवेली ने खदान का लाइसेंस लेकर खुदाई चालू कर दी थी, लेकिन बिजली की कमी महसूस होती थी। लेवेली ने केजीएफ में बिजली लाने का निश्चय किया और 130 किलोमीटर दूरी पर कावेरी बिजली केंद्र बनाया। यहीं से खदान में बिजली की आपूर्ति हुई। इस तरह कोलार गोल्ड फील्ड्स भारत का पहला ऐसा शहर है, जहां बिजली आई।